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जरा, एक सेल्‍फी हो जाए

रिश्‍तों की शेल्‍फ लाइफ कम और शेल्‍फ पर रखी किताबों पर धूल ज्‍यादा हो गई है. दिल को थोड़ा सुकून मिले इसलिए सेल्‍फी लेने का मन कर रहा है. अपनी तस्‍वीर किसे अच्‍छी नहीं लगती. स्‍मार्टफोन, सोशल मीडिया और सेल्‍फी क्‍या जर्बदस्‍त कांबिनेशन है. यहां-वहां, जहां-तहां, गाहे-बगाहे अपनी तस्‍वीरें खींचकर सोशल मीडिया पर अपलोड करते जाना किसी ऑबसेशन से कम नहीं. कुछ लोग इसे सेल्‍फी रिवॉल्‍यूशन कहकर बुलाते हैं.

रिवॉल्‍यूशनरी चे गुवेरा को अपना आदर्श बताने वाले एलेक्‍स चाकॉन तो एक कदम आगे निकल गए. उन्‍होंने 600 दिन में इंडिया समेत दुनिया के 36 देशों का सफर तय करने के बाद तीन मिनट का सेल्‍फी वीडियो बनाया है, जो इन दिनों वायरल हो रहा है और 60 लाख से ज्‍यादा व्‍यूज बटोर चुका है.  ताजमहल के सामने खड़े होकर पोज देते और भारतीय रेल में सफर करते एलेक्‍स की सेल्‍फी तो हिट हो गई लेकिन ईरान में मामला कुछ उल्‍टा हो गया. इरानियन पॉप सिंगर सईद शाइस्‍ता के गाने को गुनगुनाते और कार चलाते हुए सेल्‍फी वीडियो शूट करने के चक्‍कर में दो लड़कियां हॉस्‍पिटल पहुंच गईं. मजे की बात यह हॉस्‍पिटल बेड से भी अपनी सेल्‍फी ऑनलाइन करने से खुद को रोक नहीं सकीं. इसे ऑबसेशन नहीं तो और क्‍या कहेंगे.
  
अब तक तो आप समझ गए होंगे सेल्‍फी को आप हल्‍के में नहीं ले सकते. भले ही मेरियम वेबस्‍टर डिक्‍शनरी का हिस्‍सा बने हुए इस शब्द को जुमा-जुमा चार दिन बीते हैं. ऑक्‍सफोर्ड डिक्‍शनरी ने तो 2013 में ही सेल्‍फी को वर्ड ऑफ द ईयर मान लिया था. डिक्‍शनरी के एडिटर्स के मुताबिक 2002 में एक ऑस्‍ट्रेलियाई ने पहले पहल इस शब्‍द का इस्‍तेमाल किया था. वह भी तब जब नशे की हालत में बाहर आते समय वह गिर पड़ा और उसने अपने कटे हुए होंठ की फोटो यह कहते हुए ऑनलाइन कर दी एंड सॉरी अबाउट द फोकस इट वॉज ए सेल्‍फी’. फोटो शेयरिंग वेबसाइट फि्लकर पर 2004 में पहले पहल बतौर टैग यह शब्‍द नजर आया.

एपल के को फाउंडर स्‍टीव जॉब्‍स जो अब इस दुनिया में नहीं हैं ने जब 2010 में फ्रंट फेसिंग कैमरा वाला पहला आईफोन 4 बाजार में उतारा, तब उन्‍हें भी अनुमान नहीं रहा होगा कि वह सेल्‍फी रिवॉल्‍यूशन में योगदान दे रहे हैं. वक्‍त के साथ मोबाइल फोन बनाने वाली कंपनियां स्‍मार्टफोन के फ्रंट फेसिंग कैमरा को बेहतर बनाती चली गईं जिसने अपनी तस्‍वीर लेना आसान बना दिया. 2011 आते-आते उसे इंस्‍टेंटली ऑनलाइन करना इंस्‍टाग्राम जैसे फोटो और वीडियो शेयरिंग नेटवर्क्‍स ने आसान बनाया. पिछले साल अक्‍टूबर तक इंस्‍टाग्राम पर 35 मिलियन सेल्‍फीज पोस्‍ट हुई थीं.
सेल्‍फ ऑबसेशन से सेल्‍फी ऑबसेशन का सफर तय कर चुकी दुनिया को अब सेल्‍फी कैपिटल भी मिल गई है.

टिवटर
, फेसबुक और इंस्‍टाग्राम पर 63 लाख सोशल मीडिया मैसेजेस की एनालिसिस के बाद जारी लिस्‍ट में लंदन को यह दर्जा मिला है. अनुमान के मुताबिक सोशल मीडिया पर शेयर होने वाली 14 परसेंट सेल्‍फीज के बैकग्राउंड में लंदन के आइकनिक प्‍लेसेज जैसे बिग बेन, लंदन आई, टॉवर ब्रिज या बकिंघम पैलेस नजर आते हैं. इस लिस्‍ट में न्‍यूयॉर्क और एमस्‍टर्डम दूसरे और तीसरे नंबर पर हैं. वहीं फ्रांस की राजधानी पेरिस में स्‍थित एफिल टॉवर सेल्‍फी लेने के लिए दुनिया का फेवरिट हॉट स्‍पॉट है.

आइए वतन लौटते हैं. इंडिया में लोकसभा चुनावों के दौरान सेल्‍फी फर्स्‍ट टाइम वोटर्स को घर से बाहर निकलकर वोट डालने के लिए इंस्‍पायर करने का मीडियम बनकर उभरी. फेसबुक से लेकर टिवटर तक पर वोट सेल्‍फीज या सेल्‍फिंग छाई रही. उसे प्रमोट करने के लिए बाकायदा आईवोटसेल्‍फीज जैसे कैंपेन चले.  अपने फैमिली, फ्रेंड्स की वोट सेल्‍फीज देखकर दूसरे भी वोट डालने के लिए निकले. चुनावों में जीत के बाद मां का अर्शीवाद लेते नरेंद्र मोदी की सेल्‍फी ने जहां सुर्खियां बटोरी. वहीं गुजरात में मतदान के बाद ली गई अपनी सेल्‍फी के चलते वह मुश्‍किल में भी पड़ते नजर आए.
  
सेल्‍फ सेंट्रिक होने को अमूमन हमारे देश में बुरा माना जाता है लेकिन सेल्‍फी को नहीं. आप यह पूछेंगे इन दोनों का आपस में क्‍या लेना देना. जब चीजों से लेकर रिश्‍तों तक की शेल्‍फ लाइफ कम हो सेल्‍फी बड़े काम की है. अब शाम की चाय पर मिल बैठकर सुख दुख शेयर करना मुश्‍किल है. सोशल मीडिया पर जिंदगी के लम्‍हों को तस्‍वीरों के जरिए शेयर करना आसान. घर में किताबों की शेल्‍फ का ख्‍याल भले ही न रख पाएं उसके सामने खड़े होकर एक सेल्‍फी तो खींची ही जा सकती है. जरा, एक सेल्‍फी हो जाए.

आईनेक्‍स्‍ट में दिनांक 24 मई, 2014 को प्रकाशित
http://inextepaper.jagran.com/277157/INext-Kanpur/24.05.14#page/11/1

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