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अलविदा ऑरकुट! अब हम नहीं मिलेंगे

ऑरकुट को भी यकीन नहीं हो रहा होगा कि महज दस बरस में उसका बोरिया बिस्‍तर सिमट गया. अफसोस तो उसे इस बात का भी होगा कि बहुतेरे लोगों को यह खबर ऑरकुट नहीं बल्‍कि उनकी फेसबुक या टि्वटर टाइमलाइन पर तैरती हुई मिली. कभी उसका भी जलवा हुआ करता था. वक्‍त के साथ स्‍कूल की स्‍क्रैपबुक कब ऑरकुट के स्‍क्रैप में बदली लोगों को पता ही नहीं चला. स्‍लो स्‍पीड वाले इंटरनेट पर चैटिंग से ऊबी जेनरेशन के लिए वह किसी अजूबे से कम नहीं था. अपनों की तलाश, परायों से बात और स्‍कूल के नए-पुराने दोस्‍तों के साथ गपशप का मौका लोगों को उसकी ओर खींच रहा था. उसे तो इल्‍म भी न रहा होगा कि कभी उसकी जिंदगी में 30 सितंबर, 2014 का दिन भी आएगा जब उसे इतिहास का हिस्‍सा बनकर रह जाना है.

ऐसे में उसके इतिहास के पन्‍नों में समाने से पहले उन्‍हें पलटना जरूरी है. साल 2004, सोशल नेटवर्किंग, हैशटैग, जैसे शब्‍दों का अभी लोगों की जुबान पर चढ़ना बाकी था. गूगल 2002 में लांच सोशल नेटवर्किंग सर्विस वेबसाइट फ्रेंडस्‍टर से मुकाबले के लिए कमर कस रहा था. इस बीच 2003 में लिंक्‍डइन और माईस्‍पेस भी ऑनलाइन सोशल नेटवर्किंग स्‍पेस में दस्‍तक दे चुके थे. उधर मार्क जुकरबर्ग भी अपने सपनों को आकार देने में लगे थे. सोशल मीडिया की असली जंग अभी लड़ी जानी बाकी थी.

आखिरकार 24 जनवरी, 2004 को गूगल ने अपने तरकश से वह तीर बाहर निकाला, जिसके बारे में उसका यकीन था कि वह बाकी सोशल मीडिया नेटवर्क को धराशायी कर देगा. उसे नाम दिया गया ऑरकुट. शायद, अकेला सोशल नेटवर्क जिसे अपने बनाने वाले का नाम मिला. इसे बनाया था गूगल के इंप्‍लाई ऑरकुट बाइयुककोकटक ने. कहते हैं कि याहू की वर्तमान सीईओ और गूगल की पहली महिला इंजीनियर मारिसा मेयर ने उन्‍हें इस बात के लिए मनाया कि इसका नाम तो ऑरकुट ही होना चाहिए.

अभी साल की शुरुआत ही हुई थी और डिजिटल होती दुनिया में कई बड़े बदलाव आने बाकी थे. मार्क जुकरबर्ग का सपना आकार ले चुका था और 4 फरवरी, 2004 को शुरुआत हुई फेसबुक की. सोशल मीडिया स्‍पेस की असली जंग का आगाज हो चुका था.  गूगल को भी अनुमान नहीं रहा होगा कि ऑरकुट के दस दिन बाद आया फेसबुक दस बरसों में उसे इस कदर मात दे देगा. फेसबुक सोशल मीडिया फेनोमेना में तब्‍दील हो चुका है और ऑरकुट अपनी आखिरी सांसें गिन रहा है. हाल ही में फेसबुक ने मोबाइल मैसेजिंग एप व्‍हाट्स एप और इसके पहले इंस्‍टाग्राम को खरीदकर अपने इरादे जगजाहिर कर दिए हैं.

जनवरी और फरवरी के बाद साल 2004 में अप्रेल का महीना भी इंटरनेट की दुनिया के लिए महत्‍वपूर्ण साबित हुआ. इसी साल एक गूगल ने 1 अप्रेल को अपनी ई-मेल सर्विस जीमेल का बीटा वर्जन लांच किया. शुरुआती दिनों में इस सर्विस को अपनाने वालों को याद होगा कि उस पर अकाउंट बनाने के लिए इनवाइट की जरूरत पड़ती थी. जीमेल देखते ही देखते सबीर भाटिया की हॉटमेल से ज्‍यादा हॉट हो गया. लांच के वक्‍त उसका सोशल मीडिया स्‍पेस से कोई लेना देना नहीं था लेकिन 28 जून, 2011 को गूगल प्‍लस की लांच के साथ ही इस दुनिया से उसका भी कनेक्‍शन जुड़ गया.
 
आइए एक बार फिर वापस लौटते हैं. आखिर गूगल को यह अहसास कब हुआ होगा कि ऑरकुट तेजी से बदलती दुनिया में अपनी अहमियत खो चुका है. इस कहानी का इंडिया कनेक्‍शन है. फेसबुक के साथ जंग में ज्‍यादातर देशों में पिछड़ने के बावजूद ऑरकुट इंडिया और ब्राजील में नंबर वन बना हुआ था. जुलाई 2010 में इंडिया में फेसबुक ने ऑरकुट को यूजर्स की संख्‍या के मामले में पीछे छोड़ दिया. अगले साल दिसम्‍बर 2011 में फेसबुक ब्राजील में ऑरकुट की बादशाहत छीन चुका था. इसके बाद यह लगभग तय हो गया था कि उसके दिन अब गिने चुने ही हैं. जरा कल्‍पना कीजिए इस सबके बीच उस शख्‍स के दिमाग में क्‍या चल रहा होगा जिसने न सिर्फ ऑरकुट को बनाया बल्‍कि उसे अपना नाम भी दिया.

ऑरकुट बाइयुककोकट इन दिनों ऑरकुट ही नहीं फेसबुक, टि्वटर और लिंक्‍डइन पर भी हैं. कभी गूगल में प्रोडक्‍ट मैनेजर रहे ऑरकुट का नाम अगर आप गूगल करेंगे तो उनके इन सारे अकाउंट की लिस्‍ट खुलकर सामने आ जाएगी. स्‍टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी से कंप्‍यूटर साइंस में पीएचडी और तुर्की के मूल निवासी इस शख्‍स ने एक नहीं बल्‍कि तीन सोशल नेटवर्किंग सर्विस डेवलप की हैं क्‍लब नेक्‍सस, इनसर्किल और ऑरकुट. गूगल के सोशल नेटवर्किंग साइट ऑरकुट को अलविदा कहने से पहले ही वह मार्च, 2014 में उसे अलविदा कह चुके हैं.

उनकी लिंक्‍डइन प्रोफाइल के मुताबिक वर्तमान में वह हैलो नेटवर्क के सीईओ हैं
. टि्वटर पर उन्‍होंने आखिरी बार 30 अप्रेल, 2012 को एक तस्‍वीर ट्वीट की जिसमें वह पार्टी मूड में नजर आ रहे हैं. फेसबुक पेज की कवर इमेज पर भी वह दोस्‍तों के साथ मस्‍ती के मूड में नजर आते हैं.  वहीं उनके ऑरकुट प्रोफाइल पेज पर उनके इंटरव्‍यू के वीडियो हैं. जो शायद बीते दिनों की याद के तौर पर वहां मौजूद हैं.

ऑरकुट और फेसबुक दो अलग-अलग सोशल नेटवर्किंग साइट, ऑरकुट बाइयुककोकट और मार्क जुकरबर्ग दो अलग-अलग शख्‍सियतें जिनकी जिंदगी का पहिया बिल्‍कुल अलग दिशा में घूमा. इसे महज किस्‍मत का खेल कहकर नहीं टाला जा सकता. जब ऑरकुट अपनी शुरुआती कामयाबी पर इतरा रहा था फेसबुक आगे निकलने की रणनीति बना रहा था.

जिंदगी में कभी भी आत्‍मतुष्‍टि या कांप्‍लेसेंसी का शिकार नहीं हुआ जा सकता
. तुर्की भाषा का शब्‍द ऑरकुट दो शब्‍दों को मिलाकर बना है ऑर और कुट. ऑर यानी पवित्र और कुट यानी सृजन, एकजुटता, संपर्क. कुछ भी कहिए ऑरकुट ने लोगों को जोड़ने का काम बखूबी किया. कुछ वैसा जैसा ईद करती है. अलविदा ऑरकुट, ईद मुबारक.

आईनेक्‍स्‍ट में दिनांक 26 जुलाई, 2014 को प्रकाशित
http://inextepaper.jagran.com/310640/INext-Kanpur/26.07.14#page/11/1

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