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इंटरनेट के जादूगर की तलाश में...

बरसों बाद मैंने किसी साइबर कैफे में कदम रखा था। खाली पड़े केबिन मायूस नजर आते थे। कंप्‍यूटर स्‍क्रीन की सूनी आंखें सन्‍नाटे को निहारती लग रही थीं। अरसे से इंसानी उंगलियों की थिरकन से महरूम की-बोर्ड और माउस बेचैन लग रहे थे। वह जगह कभी इंटरनेट की दुनिया का ककहरा सीखने वालों से गुलजार रही होगी। जहां लोग अपनी बारी का इंतजार करते थे। सामने कुर्सी पर बैठा कैफे का संचालक वहां आने-जाने वालों के लिए किसी जादूगर से कम नहीं रहा होगा। जिसके बारे में मानकर चला जाता था कि इंटरनेट की जादुई दुनिया के बारे में उसे वहां आने वालों से ज्‍यादा मालूम है। इंटरनेट की दुनिया का जादू बदस्‍तूर बढ़ रहा है लेकिन उस जादूगर का असर कम हो चला है। हम में से बहुतेरे उस जादूगर से कभी न कभी मिले होंगे। बहरहाल नई जेनरेशन के पास अपनी जादू की छड़ी है। छड़ी जो हम में से भी कई के पास है। जिसे हम स्‍मार्टफोन कहते हैं। गली में किसी से मोबाइल इंटरनेट की बारिकियां सीखते उस दस बरस के लड़के से पूछियेगा। गौर कीजियेगा उसकी आंखें उत्‍साह से कैसे चमक उठती हैं। ट्रेन में ईयरफोन लगाए अपनी सीट पर खामोशी से बैठे युवा पर नजर डालियेगा। अपन