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मार्च, 2015 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

डिजिटल होना ही नहीं रिस्‍पॉसिंबल बनना भी जरूरी

पिछले दिनों जब लगभग सारा सोशल मीडिया दिल्‍ली चुनावों और उसके नतीजों पर बहस में उलझा था बीकानेर , राजस्‍थान के छोटे से कस्‍बे नोखा में अनोखा काम हुआ . एक महिला की जान बचाने में खुद को नाकाम पा रहे डा . देशराज ने यह अपडेट मेडिकल डिपार्टमेंट बीकानेर के नाम से बने व्‍हाट्सएप ग्रुप में डाल दी . जिस पर मिली बाकी डॉक्‍टरों की सलाह की मदद से वह उसकी जान बचाने में कामयाब रहे . देखने में यह घटना छोटी लग सकती है लेकिन मेडिकल सर्विसेज तक जिनकी पहुंच न के बराबर है उनके लिए यह अनोखी ही नहीं बल्‍कि बड़ी भी है .   यह कमाल व्‍हाट्सएप का कम बल्‍कि डॉक्‍टरों के एक समूह का तकनीक को अपनाने और उसके सही इस्‍तेमाल का ज्‍यादा है . यह इस ओर भी इशारा करता है कि आमतौर पर रूरल इंडिया जिसे हम डिजिटल डिवाइड के दूसरे सिरे पर रखते आए हैं अरबन इंडिया के साथ कदमताल करने के लिए तैयार है . एक और उदाहरण है लेकिन संदर्भ अलग है . मामला देश के सबसे बड़े महानगरों में से एक हैदराबाद का है . व्‍हाट्सएप पर शेयर किया जा रहा एक रेप वीडियो सोशल एक्‍टीविस्‍ट सुनीता कृष्‍णन के पास पहुंचता है . अमूमन ऐसे वीडियो बनाने वालों की