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संविधान पर गर्व करिए पर नसीहतें भी याद रखिए

26 जनवरी के आने और जाने की कितनी अहमियत है.  आखिर वो महज इक तारीख ही तो है. जो कैलेंडर का पन्ना पलटने के साथ ही भुला दी जाती है. फिर भी हम उसे याद करते हैं. इसलिए कि सवाल तारीख नहीं तवारीख का है. साल 1950 जिसका गवाह था. एक  मुल्क पहले अपना मुस्तकबिल लिखता फिर उसे हकीकत बनते देखता है. बात जिसे इस दिन अकसर टीवी पर लाल किले पर लहराता तिरंगा और राजपथ से गुजरती परेड देखकर हम बिसरा देते हैं. हमारा मुल्क जिस बुनियाद पर खड़ा है. वह भारत का संविधान है. जिसे बनाने वालों का हमें तहेदिल से शुक्रगुजार होना चाहिए. विविधताओं से भरे देश में यह काम कितना मुश्‍किल रहा होगा. इसका हम आज अंदाजा भी नहीं लगा सकते. अपने तमाम मतभेदों और भिन्नताओं के बावजूद अगर आज हम एक राष्ट्र हैं तो इसके पीछे उनकी दूरंदेशी का वह दस्तावेज है. अगर यकीन न आए तो कभी अपने पड़ोसी मुल्कों  की ओर नजर उठाकर देखिएगा. दक्षिण एशिया के तमाम देश हमारे साथ या आगे-पीछे आजाद हुए. वक्त  ने उन्हें और हमें एक साथ कसौटी पर कसा. इसके बावजूद उनके और हमारे बीच आज जमीन-आसमान का फर्क है. पाकिस्तान हमसे अलग होकर 1947 में आजाद मुल्क बना. उसके नाग