पिछले दिनों इंडियन और चाइनीज डिजिटल मीडिया स्पेस में एक तस्वीर छाई रही. अहमदाबाद में साबरमती रिवर फ्रंट पर चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ झूले पर बैठे इंडियन प्राइम मिनिस्टर नरेंद्र मोदी की तस्वीर चाइना डेली शिन्हुआ न्यूज एजेंसी के होम पेज से लेकर सोशल मीडिया स्पेस तक हर कहीं नजर आई. वैसे दो पड़ोसी मुल्क जहां दुनिया की लगभग 40 प्रतिशत आबादी रहती है के रिश्ते भी झूले की तरह ही हैं. जो कभी ऊपर तो कभी नीचे होते रहते हैं. रिश्तों का चाइना मॉडल हमें भले ही रास न आए लेकिन आबादी के बड़े हिस्से तक इंटरनेट की पहुंच सुनिश्चिचत करने और उसके जरिए अपने नागरिकों से जुड़ने के चाइना मॉडल में बहुत ऐसा है जिसे समझने की जरूरत है.
दो बरस पहले की बात है ट्विटर सरीखी चाइनीज माइक्रोब्लॉगिंग साइट वेबो के अकाउंट सेफ बीजिंग से अपने 30 लाख फॉलोवर्स को संदेश भेजा गया आज बाहर निकलते समय सावधानी बरतें. जैसे-जैसे दिन आगे बढ़ा बारिश तूफान में बदल गई. बीजिंग में बीते 60 वर्षों में आया यह सबसे तेज तूफान था जिसमें 70 लोगों को जान गंवानी पड़ी और लाखों डॉलर मूल्य की सपंत्ति को नुकसान पहुंचा. इस दौरान सेफ बीजिंग ने अपने फॉलोवर्स को ट्रैफिक, सुरक्षा के लिए जरूरी अहतियात जैसी जानकारियां भेजना जारी रखा. यह काम एक सरकारी एजेंसी बीजिंग म्यूनिसिपल पब्लिक सिक्योरिटी ब्यूरो कर रही थी.
जम्मू और कश्मीीर में आई बाढ़ के ठीक उलट सरकारी एजेंसियों और नागरिकों के बीच संवाद जारी रहा. किसी भी आपदा के वक्त सही जानकारी कितने काम की होती है मुश्किल में फंसे लोग ही नहीं सरकारी एजेंसियां और आम लोग भी बखूबी समझते हैं. यह एक उदाहरण भर है.
एक और तस्वीर जेहन में आती है. 15 अगस्त को लाल किले की प्राचीर पर से भाषण देते पीएम नरेंद्र मोदी, जिसमें वह कह रहे हैं कि डिजिटल इंडिया देश के लिए हमारा सपना है. इंडिया जिसमें नागरिक सुविधाओं को आम लोगों तक पहुंचाने में ई गवर्नेंस की बड़ी भूमिका होगी. उनके इस सपने में बहुत कुछ शामिल है. 2.5 लाख गांवों को ब्रॉडबैंड और फोन से जोड़ना, 2.5 लाख स्कूलों, सभी यूनिवर्सिटीज में वाई फाई, पब्लिक वाई फाई स्पॉट और भी बहुत कुछ. इसे आप डिजिटल डिवाइड के इस पार खड़े लोगों को उस पार ले जाने की पहल भी कह सकते हैं जगह जो डिजिटल रिवॉल्यूशन की रोशनी से जगमग है.
डिजिटल इंडिया और डिजिटल चाइना के बीच का फर्क हमें यह समझने में मदद कर सकता है कि कितना लंबा रास्ता तय किया जाना है. साथ ही यह भी कि मंजिल तक जल्दी पहुंचने के लिए रफ्तार कितनी बढ़ानी होगी.
वर्ल्ड बैंक के आंकड़ों के मुताबिक साल 2004 में इंडिया में इंटरनेट यूजर्स की संख्या कुल आबादी का महज 1.98 प्रतिशत थी. चीन में यह आंकड़ा 7.3 प्रतिशत और पाकिस्ताीन के लिए 2.6 प्रतिशत था. साल 2013 में चीन में यही आंकड़ा 45.8 प्रतिशत, इंडिया में 15.82 प्रतिशत और पाकिस्तान में 10.9 प्रतिशत था. आंकड़े खुद ब खुद इस बात की गवाही देते हैं कि शायद कछुए की कहानी पर कुछ ज्यादा ही यकीन कर लिया गया. डिजिटल इंडिया का सपना तभी साकार होगा जब आबादी के बड़े हिस्से तक इंटरनेट की पहुंच हो और वह उसका इस्तेमाल करे.
इंटरनेट की स्पीड भी बड़ी चुनौती है. स्टेट ऑफ द इंटरनेट रिपोर्ट के मुताबिक चीन में इंटरनेट की स्पीन जहां 3.2 एमबीपीएस है वहीं इंडिया में उसकी आधी 1.7 एमबीपीएस है. दुनिया भर में इंटरनेट की औसत स्पीड 3.9 एमबीपीएस है. यहां यह ध्यान रखने योग्य है कि सिर्फ इंटरनेट की पहुंच सुनिश्चिऔत करने से काम नहीं चलने वाला बल्कि उसकी स्पीड भी ऐसी हो कि उससे जुड़ी सुविधाओं का उपयोग किया जा सके.
हाल के वर्षों में इंडिया में मोबाइल फोन सब्सक्राइबर्स की संख्या तेजी से बढ़ी है. डेस्कंटॉप के मुकाबले मोबाइल पर इंटरनेट इस्तेकमाल करने वालों की बढ़ती संख्या के चलते यह आंकड़े महत्वबपूर्ण हैं. यहां प्रति 100 लोगों पर 74.9 मोबाइल फोन कनेक्श़न हैं. वहीं चीन में यह आंकड़ा प्रति 100 लोगों पर 89.2 और पाकिस्तान में 77 है. अब एक नजर गूगल अवर मोबाइल प्लानेट 2013 की रैंकिंग पर भी डालते हैं. जिससे चीन और इंडिया में स्मार्टफोन की पहुंच के बारे में पता चलता है. गौरतलब है कि यह स्मार्टफोन की बढ़ती लोकप्रियता ही है जिसके चलते मोबाइल फोन पर इंटरनेट यूज करने वालों की संख्यां तेजी से बढ़ रही है. इंडिया में स्मार्टफोन की पहुंच का प्रतिशत 16.8 वहीं चीन में 46.9 है.
यह याद दिलाते चलें कि डिजिटल इंडिया के सपने के साकार होने का दारोमदार बहुत हद तक ई गवर्नेंस से जुड़ी पहल का मोबाइल प्लेटफार्म पर उपलब्धब होने से है. चीन ने सिर्फ रेलवे लाइन और हाईवे ही नहीं बनाए हैं बल्कि डिजिटल चाइना का सपना साकार करने के लिए इंफॉर्मेशन हाईवे भी तैयार किया है. डिजिटल इंडिया के लिए भी सबसे पहले इसी की जरूरत है.
आई नेक्स्ट में दिनांक 20 सितम्बर 2014 को प्रकाशित
http://inextepaper.jagran.com/341571/INext-Kanpur/20.09.14#page/11/1
दो बरस पहले की बात है ट्विटर सरीखी चाइनीज माइक्रोब्लॉगिंग साइट वेबो के अकाउंट सेफ बीजिंग से अपने 30 लाख फॉलोवर्स को संदेश भेजा गया आज बाहर निकलते समय सावधानी बरतें. जैसे-जैसे दिन आगे बढ़ा बारिश तूफान में बदल गई. बीजिंग में बीते 60 वर्षों में आया यह सबसे तेज तूफान था जिसमें 70 लोगों को जान गंवानी पड़ी और लाखों डॉलर मूल्य की सपंत्ति को नुकसान पहुंचा. इस दौरान सेफ बीजिंग ने अपने फॉलोवर्स को ट्रैफिक, सुरक्षा के लिए जरूरी अहतियात जैसी जानकारियां भेजना जारी रखा. यह काम एक सरकारी एजेंसी बीजिंग म्यूनिसिपल पब्लिक सिक्योरिटी ब्यूरो कर रही थी.
जम्मू और कश्मीीर में आई बाढ़ के ठीक उलट सरकारी एजेंसियों और नागरिकों के बीच संवाद जारी रहा. किसी भी आपदा के वक्त सही जानकारी कितने काम की होती है मुश्किल में फंसे लोग ही नहीं सरकारी एजेंसियां और आम लोग भी बखूबी समझते हैं. यह एक उदाहरण भर है.
एक और तस्वीर जेहन में आती है. 15 अगस्त को लाल किले की प्राचीर पर से भाषण देते पीएम नरेंद्र मोदी, जिसमें वह कह रहे हैं कि डिजिटल इंडिया देश के लिए हमारा सपना है. इंडिया जिसमें नागरिक सुविधाओं को आम लोगों तक पहुंचाने में ई गवर्नेंस की बड़ी भूमिका होगी. उनके इस सपने में बहुत कुछ शामिल है. 2.5 लाख गांवों को ब्रॉडबैंड और फोन से जोड़ना, 2.5 लाख स्कूलों, सभी यूनिवर्सिटीज में वाई फाई, पब्लिक वाई फाई स्पॉट और भी बहुत कुछ. इसे आप डिजिटल डिवाइड के इस पार खड़े लोगों को उस पार ले जाने की पहल भी कह सकते हैं जगह जो डिजिटल रिवॉल्यूशन की रोशनी से जगमग है.
डिजिटल इंडिया और डिजिटल चाइना के बीच का फर्क हमें यह समझने में मदद कर सकता है कि कितना लंबा रास्ता तय किया जाना है. साथ ही यह भी कि मंजिल तक जल्दी पहुंचने के लिए रफ्तार कितनी बढ़ानी होगी.
वर्ल्ड बैंक के आंकड़ों के मुताबिक साल 2004 में इंडिया में इंटरनेट यूजर्स की संख्या कुल आबादी का महज 1.98 प्रतिशत थी. चीन में यह आंकड़ा 7.3 प्रतिशत और पाकिस्ताीन के लिए 2.6 प्रतिशत था. साल 2013 में चीन में यही आंकड़ा 45.8 प्रतिशत, इंडिया में 15.82 प्रतिशत और पाकिस्तान में 10.9 प्रतिशत था. आंकड़े खुद ब खुद इस बात की गवाही देते हैं कि शायद कछुए की कहानी पर कुछ ज्यादा ही यकीन कर लिया गया. डिजिटल इंडिया का सपना तभी साकार होगा जब आबादी के बड़े हिस्से तक इंटरनेट की पहुंच हो और वह उसका इस्तेमाल करे.
इंटरनेट की स्पीड भी बड़ी चुनौती है. स्टेट ऑफ द इंटरनेट रिपोर्ट के मुताबिक चीन में इंटरनेट की स्पीन जहां 3.2 एमबीपीएस है वहीं इंडिया में उसकी आधी 1.7 एमबीपीएस है. दुनिया भर में इंटरनेट की औसत स्पीड 3.9 एमबीपीएस है. यहां यह ध्यान रखने योग्य है कि सिर्फ इंटरनेट की पहुंच सुनिश्चिऔत करने से काम नहीं चलने वाला बल्कि उसकी स्पीड भी ऐसी हो कि उससे जुड़ी सुविधाओं का उपयोग किया जा सके.
हाल के वर्षों में इंडिया में मोबाइल फोन सब्सक्राइबर्स की संख्या तेजी से बढ़ी है. डेस्कंटॉप के मुकाबले मोबाइल पर इंटरनेट इस्तेकमाल करने वालों की बढ़ती संख्या के चलते यह आंकड़े महत्वबपूर्ण हैं. यहां प्रति 100 लोगों पर 74.9 मोबाइल फोन कनेक्श़न हैं. वहीं चीन में यह आंकड़ा प्रति 100 लोगों पर 89.2 और पाकिस्तान में 77 है. अब एक नजर गूगल अवर मोबाइल प्लानेट 2013 की रैंकिंग पर भी डालते हैं. जिससे चीन और इंडिया में स्मार्टफोन की पहुंच के बारे में पता चलता है. गौरतलब है कि यह स्मार्टफोन की बढ़ती लोकप्रियता ही है जिसके चलते मोबाइल फोन पर इंटरनेट यूज करने वालों की संख्यां तेजी से बढ़ रही है. इंडिया में स्मार्टफोन की पहुंच का प्रतिशत 16.8 वहीं चीन में 46.9 है.
यह याद दिलाते चलें कि डिजिटल इंडिया के सपने के साकार होने का दारोमदार बहुत हद तक ई गवर्नेंस से जुड़ी पहल का मोबाइल प्लेटफार्म पर उपलब्धब होने से है. चीन ने सिर्फ रेलवे लाइन और हाईवे ही नहीं बनाए हैं बल्कि डिजिटल चाइना का सपना साकार करने के लिए इंफॉर्मेशन हाईवे भी तैयार किया है. डिजिटल इंडिया के लिए भी सबसे पहले इसी की जरूरत है.
आई नेक्स्ट में दिनांक 20 सितम्बर 2014 को प्रकाशित
http://inextepaper.jagran.com/341571/INext-Kanpur/20.09.14#page/11/1
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